आधा खाइए, दुगना सोइए ।
निगुना पीजिये, चोगुना हंसिये।।
रोग शोक के पास न बसिए ।।।
एक बार खाए सो योगी ।
दो बार खाए सो भोगी ।।
बार बार खाए सो रोगी ।।।
पैर गरम अरु पेट नरम सिर ठंडा । घर आए वैद्य तो मारो डंडा ।।
कम खाना खूब चबाना, तंदुरुस्ती का यही खजाना।
डॉ प्रवीण शर्मा ....